।।वन्य सम्पदा वन अर वन्यप्राणी नवण प्रमाण।।
आज चेत बदी दूज विक्रमी संवत् 2079 शुक्रवार तदनुसार 10 मार्च, 2023 को पर्यावरण की वर्तमान हालात बहुत खराब हो चुकी है। प्रजातियां लुप्त हो रही है। ऐसा वातावरण भावी पीढ़ी को न सौंपिये। कर्म है धर्म है नित वृक्ष रोपिये, स्वैच्छिक विषय पर एक विशेष काव्य रचनाः
*ना बाग बगीचे बचे हैं, ना वन है*
*हवा प्रदूषित है दुखी यह मन है*
ना बाग बगीचे बचे हैं, ना वन है,
हवा प्रदूषित है दुखी यह मन है।
विलुप्ति के कगार पे आई बहारें,
हवा प्रदूषित है दुखी यह मन है।।
बेहताशा शोर गाडियां कर रही है,
चिमनियां भी धुवां उगल रही है।
दुर्गन्धयुक्त हालात हो गई अब है,
सब बस्तियों में भीड़ बढ़ रही है।।
सड़ांध भी हवा में हुई शामिल है,
फिजां रही नहीं रहने काबिल है।
घर भी खाने को दोड़ता अब तो,
सोच अधिकतम हुई जालिम है।।
बिना तारों के अब राते हो गई है,
बिन ब्रह्ममुहूर्त प्रभातेंं हो गई है।
हरियाली हो रही गायब धरती से,
संस्कारहीन ये हालातें हो गई है।।
हृदय चिंता लिये इंसान क्यों है ?
मन है अशांत र' परेशान क्यों है ?
देखते हुए अंधे सुनते हुए बहरे हैं,
पास कुछ नी, झूठी शान क्यों हैं ?
वृंदगान नहीं पक्षी चहचहाहट है,
होता नहीं अब मेढ़क टर्राहट है।
सजे न दुल्हन धरा बदरंग हुई है,
सुने न बुलबुलों से चहचाहट है।।
भद्दी कीकर र सफेदे न थोपिये,
आक्सीजन उद्योग वृक्ष रोपिये।
प्रदूषण मारता जो पर्यावरण हो,
सड़ांधला भविष्य नहीं सौंपिये।।
पृथ्वीसिंह' ये साँसे नष्ट हो रही,
पर्यावरण आबोहवा नष्ट हो रही।
बिगड़ गया संतुलन चहुंओर से,
अब सहनशीलता खत्म हो रही।।
©®
--
'कवि पृथ्वीसिंह बैनीवाल बिश्नोई'
राष्ट्रीय सचिव, जेएसए, बीकानेर,
लेखक, पत्रकार, साहित्यकार, हॉउस नं. 313,
सेक्टर 14 (श्री ओ३म विष्णु निवास) हिसार
(हरियाणा)-125001 भारत
फोन नंबर-9518139200,
व्हाट्सएप-९४६७६९४०२९
Gunjan Kamal
12-Mar-2023 09:53 AM
सुंदर प्रस्तुति
Reply
सीताराम साहू 'निर्मल'
11-Mar-2023 05:40 PM
शानदार
Reply
Shashank मणि Yadava 'सनम'
11-Mar-2023 08:08 AM
यथार्थ चित्रण
Reply